महिलाओं में बर्थ कंट्रोल पिल्स से जुड़ा है माइग्रेन का कनेक्शन, आधे सिरदर्द का निदान जान होंगे हैरान – women health

Migraine In Women: महिलाओं में ज्यादातर आधे सिरदर्द के मामले देखने को मिलते हैं, जिसे माइग्रेन कहते हैं। महिलाओं में माइग्रेन होने के लिए बर्थ कंट्रोल पिल्स और ऑर्गेज्म की कमी को भी कारण माना गया है।

सिर दर्द होना आजकल की लाइफस्टाइल में काफी कॉमन है। अक्सर लोगों को लगातार काम करने की वजह से सिरदर्द हो जाता है। लेकिन माइग्रेन और सिरदर्द में काफी अंतर है। सिर के दोनों तरफ दर्द होना और थोड़ी देर बाद ठीक हो जाना साधारण सिरदर्द है जो स्ट्रेस या आराम ना करने की वजह से होता है। वहीं माइग्रेन का दर्द सिर के आधे हिस्से में यानी केवल एक तरफ होता है। माइग्रेन के सिरदर्द में सारे काम रुक जाते हैं और यहां तक कि दर्द होने पर रोशनी में दिक्कत होती है और बातचीत करने का मन नहीं करता।

क्यों होता है माइग्रेन
माइग्रेन होने का ठीक कारण आज भी डॉक्टरों के लिए पहेली है। हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि दिमाग में नर्व्स, केमिकल और ब्लड वेसल्स में होने वाले परिवर्तनों की वजह से कुछ देर के लिए ये दर्द पैदा होता है। ये दर्द इतना तेज होता है कि इंसान के सहने और समझने की शक्ति भी नहीं रह जाती और वो तेजी से चीखें निकाल देता है। कई बार माइग्रेन में उल्टियां भी हो जाती है।

महिलाएं हैं ज्यादा प्रभावित
माइग्रेन आमतौर पर मर्दों और महिलाओं दोनों को होता है। लेकिन ज्यादातर मामले महिलाओं के ही देखे गए हैं। आपने घर में या आसपास भी महिलाओं को सिरदर्द की शिकायत करते सुना या देखा होगा।

माइग्रेन के हैं कई स्टेज
माइग्रेन होने के भी कई स्टेज हैं, जिनमे मरीज के दर्द की फ्रीक्वेंसी डिपेंड करती है।

-माइग्रेन शुरुआत में महीने में एक बार या 15 दिन में एक बार होता है। फिर धीरे-धीरे दो से तीन बार होने लगता है।

-माइग्रेन बढ़कर हाई फ्रीक्वेंसी एपिसोडिक में बदल जाता है। जिसमे महीनेभर में 6 से ज्यादा बार दर्द उभरता है।

-क्रॉनिक स्टेज में आते ही माइग्रेन मरीज के सिर में करीब 15 दिनतक बना रहने लगता है। इस स्टेज में कई बार दवाओं का असर भी बेअसर सा हो जाता है।

-ये दर्द इतना तेज होता है कि दवा का असर जैसे ही कम होता है मरीज को दोबार से दवा खानी पड़ जाती है।

-माइग्रेन विद ऑरा ये सबसे बुरी स्थिति होती है। जिसमे मरीज को दर्द की वजह से धुंधला सा दिखने लगता है।

महिलाओं में माइग्रेन के ज्यादातर मामलों के लिए ये कारण हैं जिम्मेदार

एक्सपर्ट का कहना है कि महिलाओं में माइग्रेन के लिए हार्मोंस जिम्मेदार होते हैं। महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रान हार्मोंस होते हैं। जो प्रेग्नेंसी और पीरियड के लिए जिम्मेदार होते हैं।

जब इन हार्मोंस में उतार-चढ़ाव होता है तो माइग्रेन का अटैक आ जाता है। खासतौर पर जब एस्ट्रोजन हार्मोन फ्लक्चुएट होता है।

कुछ महिलाओं में पीरियड्स के पहले माइग्रेन की समस्या होती है जो पीरियड्स खत्म होने के बाद ठीक हो जाता है। लड़कियों के किशोरावस्था या पीरियड्स शुरू होने के साथ ही माइग्रेन की दिक्कत के लक्षण दिखने लगते हैं।

महिलाओं में माइग्रेन के लिए सेक्स में असंतुष्टि भी जिम्मेदार है। सर्वे की रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत की 72 प्रतिशत महिलाएं शादीशुदा जिंदगी में सेक्स से असंतुष्ट होती है तो वहीं ड्यूरेक्स इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 70 प्रतिशत महिलाओं को ऑर्गेज्म नहीं मिलता। एसोसिएशन ऑफ माइग्रेन डिसऑर्डर के अनुसार संबंध बनाने से शरीर में एंडॉर्फिन नाम का हार्मोन निकलता है। जो कि दर्द में राहत देने का काम करता है। महिलाओं में एंडोर्फिन हॉर्मोन ऑर्गेज्म होने से निकलता है जो माइग्रेन को दूर कर सकता है।

हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की महिलाओं ने माना कि सेक्स लाइफ के बेहतर होते ही उनका माइग्रेन कम हो गया।

महिलाओं में माइग्रेन की बड़ी वजह कॉन्ट्रसेप्टिव दवाएं भी हो सकती है। जिनकी वजह से शरीर में हॉर्मोंस बनते और कम होते हैं। गर्भनिरोधक दवाओं की वजह से माइग्रेन की समस्या बढ़ सकती हैं। जिन महिलाओं में माइग्रेन की शिकायत है उन्हें गर्भनिरोथक गोलियों को खाने से बचना चाहिए।

माइग्रेन के शुरुआती लक्षण
माइग्रेन को अगर शुरू होने से पहले ही इन लक्षणों के जरिए पहचान लिया जाए तो दर्द कम करने के उपाय किए जा सकते हैं।

-तेज भूख लगना
-थकान
-गर्दन में अकड़न
-चिड़चिड़ापन
-उबासी आना और डिप्रेशन

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